फ़कीर बाबा


 एकबार अपने ही देश में  राष्ट्रपति को नींद न आने की पीड़ा सता रही थी | प्रचलित इलाज से कोई काम नहीं हो रहा था | उन्होंने एक फकीर बाबा से परामर्श लेना उचित समझा | उनके चुने हुए सिपाही श्री राष्ट्रपति महोदय का संदेश लेकर फकीर बाबा के पास पहुँचे और कहे, "हमारे राष्ट्रपति जी ने आपको याद किया है, आप हमारे साथ उनसे मिलने के लिए चलिए |"

फकीर बाबा कुछ गिने चुने  मरीजों से मिलने के लिए बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे, "तुम्हारे सुलतान के दरबार में भला मुझ जैसे फकीर का क्या काम ! उन्हें जाकर कह दो मैं नहीं आ सकता | "

सिपाहीगण अपने ही साथ खड़े अपने मुखिया को कहने लगे, "अगर आपका आदेश हो तो .... |"

मुखिया वापस जाकर अपने राष्ट्रापापति को बताना मुनासिब समझा और उनके दिए आदेश के मुताबिक काम करने का निश्चय करते हुए वहाँ से वापस आ गये |

"फकीर बाबा को जाकर कह दो मैं ही उनसे मिलने आना चाहूँगा |", राष्ट्रपति महोदय इतना तो समझ ही गये कि सिपाहियों ने उस फकीर से ठीक से बात नहीं किया होगा |

"फकीर बाबा आज आप घर पर ही रहें, आपसे सुलतान मिलने के लिए आ रहे हैं | ", सिपाही गण कुछ नम्र होकर उस फकीर से निवेदन करने लगे |

फकीर भला कहाँ रुकने वाला था,  वो यथावत अपने नित्य काम से निकल गया | उसके पास और भी मरीजों से मिलने की योजना पहले से तय थी ; उस दिन भी मुलाकात नहीं हो पाई | तीसरे दिन राष्ट्रपति काफ़ी देर से आए और फकीर बाबा के डेरे पर इंतजार करने लगे | आख़िर बड़ी इंतजार के बाद मुलाकात हुई, " ऐसी क्या तकलीफ़ है आपको?" 

"तकलीफ़ तो है , रात को नींद नहीं आती |"

"एक सुलतान को भला नींद कैसे आ सकती!" , फकीर बाबा स्पष्ट ही बोल गये |

"माने!"

"नींद इंसान को आती है , सुलतान को नहीं | बिस्तर पर जाने के पहले भूल जाया करो कि तुम किसी मुल्क का मुखिया हो तो सहज ही नींद आ जाएगी |"

"इतना भी सरल है!"

"इतना ही सरल है, करके देखो |"

हक़ीकत में ऐसा करने से सुलतान को नींद आने लगी | उस फकीर के चमत्कार से काफ़ी प्रभावित हुए |

 

बरगद का पेड़

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