गीता प्रश्नोत्तरी

 


प्रश्न --- धृतराष्ट्र ने संजय से क्या पूंछा ? उत्तर --- धृतराष्ट्र ने संजय पूंछा कि धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में पाण्डव और दुर्योधन क्या कर रहे हैं ?

प्रश्न --- संजय ने धृतराष्ट्र को क्या उत्तर दिया ? उत्तर ---- संजय ने उत्तर दिया की दुर्योधन द्रोणाचार्य के पास जाकर उनका ध्यान दोनों सेनाओं के अवलोकन की तरफ आकर्षित करना चाह रहा है।

प्र्शन ---- संख्या और बल से संपन्न होते हुए भी वह अपनी सेना को पाण्डव की सेना से अपर्याप्त यानी कमजोर क्यों समझता है ? उत्तर ----- संख्या और बल में संपन्न होते हुए भी वह अपनी सेना को अपर्याप्त इसलिए समझता है क्योकि उसके सेना पति उभय पक्षी भीष्मपितामह हैं जबकि पाण्डव सेना में स्वपक्षी भीम हैं।

प्रश्न -- श्री कृष्ण के रथ में किस रंग के घोड़े जुते हुए हैं ? उत्तर --- श्री कृष्ण के घोड़े में सफ़ेद रंग के घोड़े जुते हुए हैं। 

प्रश्न --- श्री कृष्ण के शंख का नाम क्या था ? उत्तर ---- श्री कृष्ण के शंख का नाम पाञ्चजन्य है।

प्रश्न -- अर्जुन के शंख का नाम क्या था ? उत्तर ---- अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त था।

प्रशन --- भीम के शंख का नाम क्या था ? उत्तर ----- भीम के शंख का नाम पौंड्र था।

प्रश्न ----भीम को बृकोदर क्यों कहा गया ? उत्तर -------भोजन अधिक करने के कारण।

प्रश्न -- युधिष्ठिर के शंख का नाम क्या था ? उत्तर -- युधिष्ठिर के शंक का नाम अनंत विजय .

प्रश्न १० -- नकुल के शंख का नाम क्या था ? उत्तर - नकुल के शंख का नाम सुघोष था।

प्रश्न ११ ----सहदेव के शंक का नाम क्या था ? उत्तर ----- सहदेव के शंख का नाम मणिपुष्पक था।

प्रश्न १२ --- अर्जुन के झंडे में किसका चिन्ह अंकित था। उत्तर -----अर्जुन के झंडे में हनुमान का चिन्ह अंकित था।

प्रश्न १३ ---- अर्जुन को विरित क्यों हो जाती है ? उत्तर --दोनों सेनाओं में अपने ही सगे सम्बं सम्बन्धियों को देखकर अर्जुन का दिल दहल जाता है। और उन्हें युद्ध से विरित हो जाती है।

प्रश्न १४ --- स्वजनों के मरने और मारने से किस बात का भय अर्जुन को सर्वाधिक विचलित करता है ? उत्तर --- स्वजनों के मरने और मरने से कुलधर्म के नष्ट होने और वर्णशंकर की उतपत्ति का भय अर्जुन को विचलित करता है।

प्रश्न १५ -- श्री कृष्ण के समझाने पर भी युद्ध करने का कारणं अर्जुन क्या बताते हैं ? उत्तर --- श्री कृष्ण के समझाने पर भी युद्ध करने का कारण अर्जुन बताते हैं कि भीष्मपितामह और द्रोणाचार्य दोनों ही पूज्यनीय हैं , जिनसे युद्ध करना होगा। प्रश्न १६ --- यह शरीर यानी देह कैसा है ? उत्तर --- यह शरीर परिवर्तन शील और नश्वर है।

प्रश्न १७ -- मोक्ष के योग्य कौन होता है ? उत्तर -- मोक्ष के योग्य वह होता है जो दुःख -सुख को समान समझे इन्द्रिय और विषय के संयोग से व्याकुल हो।

प्रश्न १८ -- नाशरहित कौन है ? अथवा नष्ट कौन नहीं होता ? उत्तर --- नाश रहित जीवात्मा है।

प्रश्न १९ -- नाशवान कौन है ? अथवा नष्ट कौन होता है ? उत्तर - नाशवान शरीर है।

प्रश्न २० -- श्री कृष्ण अर्जुन को पृथा पुत्र क्यों कहते हैं ? उत्तर ---- श्री कृष्ण अर्जुन को पृथा पुत्र इसलिए कहते हैं क्योंकि अर्जुन कुन्ती के पुत्र हैं और कुन्ती का एक नाम पृथा भी है।

प्रशन २१ -- ऐसी कौन सी चीज है जिसे शस्त्र काट नहीं सकते , अग्नि जला नहीं सकती , जल गीला नहीं कर सकता , वायु सुखा नहीं सकती। उत्तर --- आत्मा।

प्रश्न २२ -- योग क्या कहलाता है ? उत्तर --- फल- अफल , सुख - दुःख , सिद्धि - असिद्धी ,में समत्व ही योग कहलाता है।

प्रश्न २३ --- क्षेम क्या है ? उत्त्तर --प्राप्त वस्तु की रक्षा का नाम क्षेम है।

प्रश्न २४ -- समत्वं क्या है ? उत्तर ---- पूर्ण -अपूर्ण एवं फल -अफल में सम भाव ही समत्व है।

प्रश्न २५ --कैसा कर्म निम्न श्रेणी का माना जाता है ? उत्तर --- सकाम कर्म।

प्रश्न २६ -- गीता में दल -दल किसे कहा गया है ? उत्तर ---- मोह को।

 प्रश्न २७ --- स्थित प्रज्ञ कौन है ? उत्तर ------समस्त कामनाओं को त्याग देने वाला , आत्म संतुष्ट व्यक्ति स्थित प्रज्ञ है।

प्रश्न २८ - स्थिर बुद्धि मनुष्य के क्या लक्षण हैं ? उत्तर ---- दुःख में उद्विग्न नहीं होने वाला , सुख में निःस्पृह रहने वाला , राग , भय , क्रोध से मुक्त मुनि स्थिर बुद्धि जाता है।

प्रश्न २९ --- स्थिर बुद्धि किसकी हो सकती है ? उत्तर ------जिसने इन्द्रियों को वश में कर लिया हो।

प्रश्न ३० - क्रोध कब उत्पन्न होता है ? उत्तर ------- कामना में विध्न उत्पन्न होने पर।

प्रश्न ३१ ---क्रोध होने पर इंशान पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उत्तर ---- ज्ञान (बुद्धि ) का नाश होता है।

प्रश्न ३२ -- दुःख की उत्तपत्ति कब होती है ? उत्तर --- निश्चयात्मिका बुद्धि के आभाव में शांत रहित मनुष्य में दुःख की उत्तपत्ति होती है।

प्रश्न ३३ -- शांति किसे प्राप्त होती है ? उत्तर --- कामना, ममता , अहंकार , स्पृहा (लालच ) रहित व्यकित को शान्ति प्राप्त होती है।

प्रश्न ३४ -- निष्ठा (पराकाष्ठा ) क्या है ? उत्तर ----- साधन की परिपक्व अवस्था अर्थात पराकाष्ठा नाम निष्ठा है।

प्रश्न ३५ --- सम्पूर्ण निष्ठा किस योग के द्वारा प्राप्त होती है ? उत्तर ---- कर्म योग के द्वारा। प्रश्न

३५ -- समत्व योग , बुद्धि योग , कर्म योग , तदर्थ कर्म , मदर्थ कर्म , आदि किसे कहा गया है ? उत्तर ----- निष्काम कर्म योग को।

प्रश्न ३६ -- समत्व योग किसे कहते हैं ? उत्तर ---- समबुद्धि युक्त पुरुष पाप-पुण्य से ऊपर उठ कर कर्म वन्धन से छूट जाते हैं , और सभी कार्यों में रुचि लेते हैं तब उसे समत्व योग कहा जाता है। (सम बुद्धि को )

प्रश्न ३७ ---- निष्ठा कितने प्रकार की होती है ? और कौन - कौन सी होती है ? उत्तर ------ निष्ठा दो प्रकार की होती है। सांख्य योग ( भक्ति योग ) ज्ञान योग , कर्म योग।

प्रश्न ३८ -- श्रेष्ठ योग कौन सा मन गया है ? उत्तर ---- कर्म योग।

प्रश्न३९ --- सर्व प्रथम योग की बात किसने - किससे की थी ? उत्तर --- कृष्ण ने सूर्य से विष्णु रूप में।

प्रश्न४० -- श्री कृष्ण इस पृथ्वी पर कब - कब आने की बात किससे कहते हैं ? उत्तर ----- कृष्ण अधर्म की बृद्धि पर आने की बात अर्जुन से कहते हैं।

प्रश्न ४१ --- युद्ध कहाँ हुआ था ? उत्तर ----- कुरुक्षेत्र में।

प्रश्न ४२ -- कौरव कौन थे ? उत्तर ----- कुरु के वंशज।

प्रश्न ४३ -- कुरु क्षेत्र का नाम कुरु क्षेत्र क्यों पड़ा ? उत्तर ----- राजा कुरु के तपो भूमि के कारण।

प्रश्न ४४ -- धृतराष्ट्र कौन थे ? उत्तर ---- हस्तिना पुर के राजा।

प्रश्न ४५ -- संजय कौन थे ? उत्तर ----- धृतराष्ट्र के मुख्य सचिव।

प्रश्न ४६ -- दुर्योधन कौन था ? उत्तर ---- धृतराष्ट्र का ज्येष्ठ पुत्र।

प्रश्न ४७ -- भीष्म पितामह कौन थे ? उत्तर ---- कौरव - पांडव पर दादा।

प्रश्न ४८ -- पांडव कौन थे ? उत्तर ---- राजा पाण्डु के पांच पुत्र।

प्रश्न ४९ -- कर्ण कौन था ? उत्तर --- सूर्य पुत्र कुंती का बेटा।

प्रश्न ५० -- भीष्म पितामह के माता - पिता का नाम क्या था ? उत्तर --- माता का नाम गंगा और पिता का नाम शान्तनु था। प्रश्न ५१ -- शान्तनु कौन थे ? उत्तर ---- कुरु के वंशज , हस्तिना पुर के राजा , तथा कौरव - पाण्डव के पूर्वज।

प्रश्न ५२ -- विदुर कौन थे ? उत्तर ---- कुरु वंश के दासी पुत्र , तथा धृतराष्ट्र के धार्मिक सलाह कार।

प्रश्न ५३ --- द्वारिका धीश कौन थे ? उत्तर --- श्री कृष्ण।

प्रश्न ५४ - दुर्योधन - द्रोणाचार्य के पास जाकर क्या कहता है ? उत्तर ----- कौरव - पाण्डव की सेना पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए - दोनों सेनाओं को देखने के लिए कहता है।

प्रश्न ५५ -- द्रोणाचार्य कौन थे ? उत्तर --- कौरव - पाण्डव के गुरु। प्रश्न ५६ -- कृपाचार्य कौन थे ? उत्तर ----- कौरव वंश के कुलगुरु।

प्रश्न ५७ -- विकर्ण कौन था ? उत्तर --- दुर्धोधन का भाई।

प्रश्न ५८ --- अश्वत्थामा कौन था ? उत्तर ------- द्रोणाचर्य का पुत्र।

प्रश्न ५९ -- अश्वत्थामा एवं द्रोणाचार्य किसके तरफ से युद्ध कर रहे थे ? उत्तर ---- दुर्योधन के तरफ से (कौरव के तरफ से )

प्रश्न ६० -- दुर्योधन अपनी सेना को कमजोर क्यों समझता है ? उत्तर ----- क्योंकि उसके सेना पति उभय पक्षी भीष्मपितामह हैं। जो पांडवों का पक्ष लेते हैं।

प्रश्न ६१ -- पांडव सेना के सेना पति कौन हैं ? उत्तर ---- धृष्टद्युम्न।

प्रश्न ६२ -- अर्जुन सेना के मध्य में क्यों जाते हैं ? उत्तर ---- दोनों सेनाओं को देखने के लिए। प्रश्न ६३ -- अर्जुन के सारथि कौन थे ? उत्तर ---- श्री कृष्ण। प्रश्न ६४ -- अर्जुन को युद्ध से सन्यास ( विरति ) क्यों हो जाती है ? उत्तर --- क्योंकि दोनों पक्षों में उन्ही के कुटुम्बी थे , जिन्हे देखकर उन्हें विरति हो जाती है। प्रश्न ६५ -- गीता का उपदेश कौन - कहाँ - किसे सुनते हैं ? उत्तर --- श्री कृष्ण कुरु क्षेत्र में अर्जुन को। प्रश्न ६६ -- श्री कृष्ण सेना के बीच में जाकर अर्जुन से क्या कहते हैं ? और क्यों ? उत्तर --- सुहृदों को देखने के लिए। क्योंकि वह अर्जुन के अन्तर का मोह जगाना चाहते थे। प्रश्न ६७ -- श्री कृष्ण कौन सा शंख बजाते हैं ? उत्तर --- पाञ्चजन्य। प्रश्न ६८ -- भीम कौन सा शंख बजाते हैं ? उत्तर -- पौण्ड्र। प्रशन ६९ -- अर्जुन कौन सा शंख बजाते हैं ? या अर्जुन के शंख का नाम क्या है ? उत्तर -- देवदत्त। प्रश्न ७० -- नकुल के शंख का नाम क्या है ? उत्तर -- सुघोष। प्रश्न ७१ -- सहदेव के शंख का नाम क्या है ? उत्तर -- मणिपुष्पक। प्रश्न ७२ -- संजय - पाण्डव का विस्तार में कौरव का संक्षेप में वर्णन क्यों करते हैं ? उत्तर -- क्योंकि संजय की आस्था न्याय के तरफ है। प्रश्न ७३ -- शिखण्डी कौन था ? उत्तर -- शिखंडी राजा द्रुपद की पुत्री था , जो तप - बल से पुरुष बनी थी। प्रश्न ७४ -- युधिष्ठिर के शंख का नाम क्या था ? उत्तर --- अनन्त विजय। प्रश्न ७५ -- सेना पति होते हुए भी सर्व प्रथम युद्ध घोष शंख श्री कृष्ण क्यों बजाते हैं ? उत्तर --- क्योंकि पाण्डव पक्ष में वही सर्वश्रेष्ठ थे। प्रश्न ७६ -- द्रुपद कौन थे ? उत्तर --- द्रुपद - द्रोपदी के पिता एवं पाण्डवों के स्वसुर थे। प्रश्न ७७ -- जनार्दन कौन थे ? उत्तर -- श्री कृष्ण।

प्रश्न ७८ -- कितने प्रकार के होते हैं ?नाम बताइये - उत्तर ----- तीन प्रकार के होते हैं। नाम है -- भक्ति योग।, कर्म योग , ज्ञान योग।

प्रश्न ७९ --- विभूति क्या कहलाती है ? उत्तर ----- ऐश्वर्य , अलौकिक शक्ति ही विभूति कहलाती है।

प्रश्न ८० -- स्थित प्रज्ञ किसे कहते हैं ?

उत्तर ----- इन्द्रियों को वश में करने वालों को स्थित प्रज्ञ कहते हैं। प्रश्न ८१ --- गीता उपदेश में कृष्ण ने सबसे बड़ा योग कौन सा बताया है ? उत्तर --- निष्काम कर्म योग।

 प्रश्न ८२ -- गुण कितने और कौन - कौन से होते हैं ?

उत्तर --- गुण तीन होते हैं - - सात्विक - राजस - तामस।

प्रश्न ८३ -- त्रिलोकी क्या है ? उसके नाम कौन - कौन से हैं ?

उत्तर --- त्रिलोकी तीनों लोक हैं - उनके नाम हैं -- मृत्यु लोक - स्वर्ग लोक पाताल लोक।

प्रश्न ८४ -- विराट दर्शन किसने किसे दिया ?

उत्तर --- श्री कृष्ण ने अर्जुन को।

प्रश्न ८५ -- सूर्य ने योग विद्या किसे सिखाई थी ?

उत्तर -- मनु को।

प्रश्न ८६ -- मनु ने योग विद्या किसे सिखाई ?

उत्तर --- राजा इक्ष्वाकु को।

प्रश्न ८७ -- चातुष्य वर्ण( चार वर्णों) का उल्लेख गीता में किसके लिए किया गया है ?

उत्तर --- चार वर्णों का उल्लेख - ब्राम्हण - क्षत्रिय - शूद्र के लिए किया गया है।

प्रश्न ८८ -- पंचेन्द्रियों का नाम बताइये -- उत्तर -- पांच इन्द्रियाँ - नाक - कान - आँख - जीव्हा - त्वचा हैं

प्रश्न ८९ -- महाभारत संग्राम का नाम महाभारत क्यों पड़ा ?

उत्तर --- क्योंकि कौरव - पाण्डव राजा भरत के वंशज थे , इसलिए उन्हें भारत कहा गया। महा युद्ध कौरव और पाण्डव के ही बीच हुआ , इसीलिये इस युद्ध का नाम महाभारत पड़ा।

प्रश्न ९० -- भारत शब्द सम्बोधन किसने - किसके लिए किया ?

उत्तर --- श्री कृष्ण ने अर्जुन के लिए।

प्रश्न ९१ --- युद्ध में विजय श्री किसे और क्यों मिलेगी ? यह उद्गार किसने किससे किया ?

उत्तर --- युद्ध में विजय श्री अर्जुन को मिलेगी क्योंकि योगेश्वर कृष्ण उन्ही के तरफ हैं.

प्रश्न ९२ -- श्री कृष्ण योगेश्वर शब्द पर बल क्यों दिया गया है ?

उत्तर -- क्योंकि वह महान योगी थे। योग वल से गीता उपदेश के समय उन्होंने कुरु क्षेत्र में सूर्य की गति को रोक दिया था।

प्रश्न ९३ -- वेद कितने होते हैं ? नाम बताइये।

उत्तर -- वेद चार होते हैं -- - ऋगवेद - सामवेद - यजुर्वेद - अथर्ववेद।

प्रश्न ९४ -- श्री कृष्ण के कुल कितने भाव हैं ?

उत्तर -- २० ( बीस )

प्रश्न ९५ -- संसार में प्रभव (मूल कारन ) कौन है ?

उत्तर -- श्री कृष्ण (अनादि )

प्रश्न ९६ -- प्रकाश में श्री कृष्ण कौन हैं ?

उत्तर ----- सूरज।

प्रश्न ९७ -- वामन रूप में श्री कृष्ण किसके पुत्र थे ?

उत्तर -- अदिति के। ( वृष्णु )

प्रश्न ९८ -- भूतों (जीव ) के ह्रदय में स्थित आत्मा कौन है ?

उत्तर ---- श्री कृष्ण।

प्रश्न ९९  गीता के अनुसार श्री कृष्ण किस - किस तत्व में क्या - क्या हैं ?

उत्तर --- - नक्षत्रों में चन्द्रमा हैं - वेदों में सामवेद - देवों में इन्द्र - इन्द्रियों में मन - ग्यारह रुद्रों में शिव - धन के स्वामी कुवेर - आठों वसुओं में - तेज में अग्नि - पर्वतों में सुमेरु -पुरोहितों में बृहस्पति १० - सेनापति में स्कन्द ११ - जलाशयों में समुद्र १२ - महर्षियों में भृगु १३ - अक्षर (प्रणव) में ओंकार १४ - यज्ञों में जप यज्ञ १५ - स्थिर में हिमालय १६ - वृक्षों पीपल १७ - देवर्षियों में नारद १८ - गन्धर्वों में चित्ररथ १९ - सिद्धों में कपिल २० - घोड़ों में उच्चैः श्रवा २१ हंथियों में ऐरावत २२-मनुष्यों में राजा २३ - शास्त्रों में दंड २४- गौ में कामधेनु २५ - सर्पों में वासुकि २६ - नागों में शेषनाग २७ - जलचरों के देवता में वरुण २८ - पितरों में अर्यमा २९ - शाशक में यमराज ३० - दैत्यों में प्रह्लाद ३१ - गणना ( गिनती ) में समय ३२ - पशुओं में सिंह ३३ - पक्षियों में गरुण ३४ - मछलियों ( जलजीवो में मगर ३५ - नदियों गंगा ३६ - शास्त्र धारियों में श्री राम ३७ - समास में द्वन्द समास ३८ - छंद में गायत्री छंद ३९ - महीनें में उत्तम मार्गशीर्ष ४० - ऋतुओं में वसंत ४१ - कवियों में शुक्राचार्य ४२ - वृष्ण वंश में वासुदेव ४३ - गुप्त भाव में मौन भाव ४४- सबका पालक पोषक में , चारों तरफ मुख वाला विराट स्वरूप ४५ - नष्ट करने वाला मृत्यु ४६ - उत्पत्ति का कारण ४७ - स्त्रियों में कीर्ति , श्री ,वाक् , स्मृति , मेधा , धृति , क्षमा , ४८ - गायन श्रुतियों में वृहत्साम ५० - छल में जुआं ५१ - पुरुषों में प्रभाव ५२ - जीतने वालों में विजय ५३ - निश्चय करने वालों में निश्चय ५४ - भावों में सात्विक भाव ५५ - पाण्डवों में धनञ्जय ( अर्जुन ) ५६ - मुनियों में वेद व्यास ५७ - दमन करनेमें दमन शक्ति। ये सभी श्री कृष्ण के स्वरूप हैं।

प्रश्न १००---- विराट रूप किसने और कहाँ धारण किया ?

उत्तर --- श्री कृष्ण ने कुरु क्षेत्र में।

प्रश्न १०१ --अर्जुन के अतिरिक्ति गीता उपदेश किसने देखा और सुना ? उत्तर ------ संजय ने।

प्रश्न १०२ -- संजय को कुरुक्षेत्र दृश्य कैसे दिखाई दिया ?

उत्तर ----- दिव्य दृष्टि से।

प्रश्न १०३ -- संजय को दिव्य दृष्टि कैसे मिली ?

उत्तर ---- वेद व्यास से।

प्रश्न १०४ -- महाभारत का आँखों देखा वर्णनं किसने किया ?

उत्तर ------ संजय ने।

प्रश्न १०५ - वेद व्यास ने कितने वेद लिखे ?

उत्तर -------चार

प्रश्न १०६ - श्री कृष्ण ने अर्जुन को पार्थ क्यों कहा ?

उत्तर ------ राजा पृथु की पुत्री कुंती का नाम पृथा था , अर्जुन कुंती यानि पृथा के पुत्र थे अतः उनका नाम पार्थ पड़ा।

प्रश्न १०७ - वर्णों का विभाजन किस आधार पर किया गया ?

उत्तर ----- गुण और कर्म के आधार पर।

प्रश्न १०८ -- गीता का जन्म कब हुआ ?

उत्तर - मार्ग शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष एकादशी को हुआ। यह एकादशी मोक्षदा एकादशी के नाम विख्यात है।

प्रश्न १०९ - पुराण कुल कितने हैं ?

उत्तर -------- १८ ( अट्ठारह )

प्रश्न ११० -- पुराणों के रचयिता कौन हैं ?

उत्तर ------ हर्ष लोमश और उग्रश्रवा हैं।

प्रश्न १११ -- किरीटी कौन हैं ?

उत्तर ------ अर्जुन।

प्रश्न ११२ -- अर्जुन का नाम किरीटी क्यों पड़ा ?

उत्तर ---- इंद्र के द्वारा दिए गए किरीट (मुकुट ) के कारण।

प्रश्न ११३ -- सव्यसांची कौन हैं ?

उत्तर ----- अर्जुन।

प्रश्न ११४ -- अर्जुन को सव्यसांची क्यों कहा गया।

उत्तर ------ दायें - बाएं दोनों हांथों धनुष - वान चलाने के कारण।

प्रश्न ११५ -- विश्वरूप कौन हैं ?

उत्तर ------ श्री कृष्ण।

प्रश्न ११६ -- चतुर्भुज किसने धारण किया ?

उत्तर ----- श्री कृष्ण ने।

प्रश्न ११७ -- अस्वत्थ वृक्ष क्या है ?

उत्तर ----- पीपल।

प्रश्न ११८ -- अर्जुन के धनुष का नाम क्या था ?

उत्तर ---- गाण्डीव।

प्रश्न ११९ --- अधिभूत क्या है ?

उत्तर ---- सृष्टि।

प्रश्न १२० - अधिदैव कौन है ?

उत्तर ----- ब्रम्हा।

प्रश्न १२१ - अधियज्ञ कौन है ?

उत्तर ---- श्री कृष्ण।

प्रश्न १२२ - श्री कृष्ण के विश्व रूप का वर्णन किसने - किससे किया ? उत्तर ------ संजय ने धृतराष्ट्र से।

प्रश्न १२३ -- अर्जुन को गुडाकेश क्यों कहा गया ?

उत्तर ---- नींद पर विजय पाने के कारण तथा घुंघराले बालों के कारण। प्रश्न १२४ - श्री कृष्ण को ऋषकेश क्यों कहा गया ?

उत्तर ---- जीवों के ह्रदय में निवास करने के कारण।

प्रश्न १२५ - अर्जुन ध्वज में किसका चिन्ह है ?

उत्तर ------ हनुमान का। जिसे कपिध्वज भी कहा गया।

प्रश्न १२६ -- गीता में कुल कितने श्लोक हैं ?

उत्तर ----७०० (700 ) श्लोक .

प्रश्न १२७ -- कितने अध्याय हैं ?

उत्तर ------ 18 अध्याय।

प्रश्न १२८ --- पहला शब्द धर्मक्षेत्रे किसने - किससे कहा था ?

उत्तर ------- धृतराष्ट्र ने संजय से।

प्रश्न १२९ -- पहला श्लोक कौन सा था ?

उत्तर ------ धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवश्चैव किम कुर्वत संजयः। .

प्रश्न १३० -- पहला श्लोक किसने - किससे कहा था ?

उत्तर ------ धृतराष्ट्र ने संजय से।

प्रश्न १३१ -- विषाद होने पर अर्जुन रथ के किस भाग में बैठ गए थे ? उत्तर ------ मध्य भाग में।

प्रश्न १३२ -- भीम की बृकोदर क्यों कहा गया है ?

उत्तर ----- अधिक भोजन करने के कारण।

प्रश्न १३३ -- पृथ्वी पर श्री कृष्ण कब -कब आने की बात किससे कहते हैं ?

उत्तर --------अधर्म की बृद्धि  होने पर अर्जुन से।

प्रश्न १३४ -- अश्वत्थ वृक्ष की जड़ कहाँ है ?

उत्तर -------- ऊपर।

प्रश्न १३५ --- अश्वत्थ वृक्ष की शाखा कहाँ है ?

उत्तर ------ नीचे।

प्रश्न १३६ -- श्री मद भगवद् गीता का संवाद किसके बीच होता है।? उत्तर ------ श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच।

प्रश्न १३७ -- ब्रम्हा जी का दिन और रात कितने युग का होता है ?

उत्तर --- 1000 चतुर्युग का।

प्रश्न १३८ -- सत्व गुण , रजो गुण , एवं तमों गुण से कौन गति प्राप्त होती है ?

उत्तर ----- क्रमशः उर्ध्व गति (स्वर्ग लोक ) मध्यम गति ( मृत्यु लोक) , अधो गति ( निम्न योनि -- जैसे कीड़े - मकोड़े )

प्रश्न १३९ --- विराट रूप का प्रकाश अर्जुन ने कितने सूर्य के प्रकाश के अधिक बताया ?

उत्तर ---- 1000 करोड़ सूर्य के प्रकाश से अधिक।

प्रश्न १४० -- यम कितने और कौन - कौन से होते हैं ?

उत्तर ----यम पांच होते हैं --- - सत्य अहिंसा - अस्तेय - अपरिग्रह - ब्रम्हचर्य।

प्रश्न १४१ - धृतराष्ट्र के कितने पुत्र थे ?

उत्तर ------- 100 .

प्रश्न १४२ ---- चतुर्भुज रूप का दर्शन कैसे होता है ?

उत्तर ------- निर्विकार भाव से भजन करने पर।

प्रश्न १४३ -- गीता का उपदेश श्री कृष्ण के अतिरिक्ति किसने -किसे सुनाया ?

उत्तर ---- संजय ने धृतराष्ट्र को।

प्रश्न १४४ -- अक्षर क्या है , और कौन हैं।

उत्तर --- जिसका क्षरण हो अर्थात जो नष्ट हो , वह श्री कृष्ण (वृष्णु ) हैं।

प्रश्न १४५ -- धर्म रक्षक योद्धा के मरने पर उसे क्या प्राप्त होता है ? उत्तर ---- स्वर्ग लोक।

प्रश्न १४६ - युद्ध में विजय प्राप्त करने पर योद्धा को क्या प्राप्त होता है ?  

उत्तर ----- राज्य।

प्रश्न १४७ - नरक के कितने द्वार हैं ?

उत्तर ---- नरक के तीन द्वार हैं --- काम (इक्षा ) - क्रोध - मोह (माया ) .

प्रश्न १४८ -- ईश्वर प्रिय भक्त है ?

उत्तर ---- सुख - दुःख , लाभ -हानि , जय - पराजय में समान रहने वाला।

प्रश्न १४९ -- श्री विजय विभूति कहाँ है ,? यह उद्गार किसका है ?

उत्तर --- जहाँ श्री कृष्ण और अर्जुन हैं श्री , विजय , विभूति वहीं है। यह उद्गार संजय का है।

प्रश्न १५० -- अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?

उत्तर - भगवान सूर्यदेव को

प्रश्न १५१ -- पहले अध्याय में कौन सा योग है ?

उत्तर --- विषाद योग।

प्रश्न १५२ -- मन कैसा है ?

उत्तर ----- चंचल।

प्रश्न १५३ --संपत्ति कितनी होती हैं ? और कौन - कौन सी होती हैं ?

उत्तर --- संपत्ति दो तरह की होती हैं। -- दैवी -- आसुरी।

प्रश्न १५४ -- विषाद होने पर अर्जुन के हाथ क्या छूट गया ?

उत्तर ----- धनुष।

प्रश्न १५५ -- प्रवित्ति कितनी और कौन - कौन सी होती हैं ?

उत्तर ---- प्रवित्ति तीन होती हैं - - सात्विक - राजस - तामस

प्रश्न १५६ - श्री मद भगवद् गीता का विवेचन (उपदेश ) किस ग्रन्थ हुआ ?

 उत्तर ---- महाभारत में।

प्रश्न १५७ -- प्रथम क्रम में शंख नाद किसने किया ?

उत्तर ------ भीष्म पितामह ने।

प्रश्न १५८ -- द्वितीय क्रम शंख किसने वजाया ?

उत्तर ---- श्री कृष्ण नें।

प्रश्न १५९-- कौरव - पाण्डव दोनों एक ही परिवार के थे , फिर भी धृतराष्ट्र पाण्डु पुत्र और मामकाः क्यों कहते हैं ?

उत्तर ----- क्योंकि धृतराष्ट्र के मन में भेद - भाव और पक्षपात था।

प्रश्न १६० -- श्री कृष्ण को मधुषूदन अर्जुन के द्वारा क्यों कहा गया ?

उत्तर ----- मधु दैत्य वध करने के कारण।

प्रश्न १६१ -- शरीरी , देहि , क्षेत्रज्ञ , आदि शब्दों का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?

उत्तर ----- आत्मा के लिए।

प्रश्न १६२ --- क्षेत्र , देह , शरीर शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?

उत्तर ------ शरीर के लिए।

प्रश्न १६३ -- श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किस मुद्रा में दिया ?

उत्तर ------ मुश्कुराते हुए।

प्रश्न १६४ -- शरीर कैसा है ? उत्तर --- परिवर्तन शील।

प्रश्न १६५ -- मृत्यु केबाद आत्मा कहाँ चली जाती है।

उत्तर ----- एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रविष्ट हो जाती है।

प्रश्न १६६ -- आत्मा कैसी है ?

उत्तर ----- अजर - अमर। इसे काटा जा सकता है , जलाया जा सकता है , गीला किया जा सकता है , ही सुखाया जा सकता है।

प्रश्न १६७ -- गीता में पार्थ शब्द का प्रयोग कितने बार किया गया है ? उत्तर ----- 38 बार .

प्रश्न १६८ ---- अष्टांग योग क्या है ?

उत्तर ------- यम , नियम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान , समाधि यही आठों योग अष्टांग योग कहलाते हैं।

प्रश्न १६९ - यम कितने होते हैं ?

उत्तर ----- यम पांच होते हैं।

प्रश्न १७० -- योगी कितने प्रकार होते हैं ?

उत्तर ------ योगी आठ प्रकार के होते हैं --- - कर्म योगी - ज्ञान योगी - ध्यान योगी - लय योगी - हठ योगी - राज योगी - मंत्र योगी - अनाशक्त योगी।

प्रश्न १७१ --- भक्त के लक्षण कौन -कौन से हैं ?

उत्तर ------- - समत्व बुद्धि और मनन शील - निष्काम कर्म करने वाला - सबका प्रेमी - राग द्वेष भाव रहित - सर्व संकल्पों का आभाव - इन्द्रिय भोगों में अनाशक्ति - सर्दी - गर्मी , सुख - दुःख , मान - अपमान , में सम भाव रखने वाला। - हेतु रहित दयालु - परमात्मा के शिवाय अन्य कुछ भी नहीं है , यह भावना मन में रखने वाला , १० - विकार रहित स्थिति ११- मिट्टी - पत्थर , स्वर्ण को एक समान मनाने वाला १२ - संग्रह रहित , वासना - मन और इन्द्रियों पर काबू रखने वाला ममता , अहंकार , काम - क्रोध , मद - मत्सर रहित हो। यही सब भक्त के लक्षण होते हैं।

प्रश्न १७२ -- भक्ति के उपाय क्या -क्या हैं ?

उत्तर ----------- भगवान की उपाशना , - कर्म करने के बाद फल भगवान को अर्पण कर देना - धंधा या नौकरी करने के बाद प्राप्त धन राशि का कुछ भाग जन कल्याणार्थ उपयोग करना ,- ज्ञान बढ़ाना - सत्संग करना - फल की अपेक्षा करना आदि भक्ति के उपाय हैं।

प्रश्न १७३ --- गीता के पूरे १८ ( अट्ठारह ) अध्याय में कौन - कौन से योग का वर्णन है /

उत्तर ---------- प्रथमं अर्जुन विषाद योगं , द्वितीयं सांख्य योगं।कर्म योगम् तृतीयकम् , चतुर्थकम् ज्ञान - कर्म - सन्यास च। पंचमम कर्म -सन्यास योगं , षष्टम आत्मसयंमम च। ज्ञान -विज्ञान योगं सप्तमम्, अक्षर ब्रम्ह अष्टमम् च। नवमम् राज विद्या - राज गुह्यं , दसमम विभूति योगं। एकादशः विश्वदर्शनम् , भक्ति योगं द्वादशः।त्रयोदशः क्षेत्र - क्षत्रज्ञ विभाग , गुण त्रय विभाग चतुर्दशः। पुरुषोत्तम योग पंचदशः , दैवा सुर सम्पद्विभाग षोडशः। सप्त श्रद्धा त्रय विभाग , मोक्ष - सन्यास अष्टदशः। इति अष्टादशः योगं , गीतोपनिषद वर्णनम्। . - अर्जुन विषाद योग - सांख्य योग - कर्म योग - ज्ञान - कर्म सन्यास योग - कर्म सन्यास योग - आत्म संयम योग - ज्ञान - विज्ञानं योग - अक्षर ब्रम्ह योग - राज विद्द्या - - राज गुह्य योग १० - विभूति योग ११ - विश्वरूप दर्शन योग १२ - भक्ति योग १३- क्षेत्र - क्षत्रज्ञ विभाग योग १४- गुण त्रय विभाग योग १५- पुरुषोत्तम योग १६ - दैवा सुर सम्पद विभाग योग १७ - श्रद्धा त्रय विभाग योग १८ - मोक्ष - सन्यास योग।

प्रश्न १७४ -- अर्जुन के विषाद ग्रस्त होने पर क्या अवस्था हुई ?

उत्तर ---- अंग शिथिल होने लगे , मुख सूखने लगा , शरीर में कम्पन होने लगा , रोंगटे खड़े होने लगे , हाथ से गाण्डीव छूटने लगा , त्वचा में जलन होने लगी।

प्रश्न १७५ -- नरक में ले जाने वाला कौन होता है। उत्तर ---------- वर्ण संकर।

प्रश्न १७६ ---श्री मद भगवद् गीता के प्रत्येक अध्याय की समाप्ति पर महर्षि वेदव्यास ने क्या पुष्पिका लिखी है

उत्तर -------- ओम तत शत श्री मद भगवत् गीता शूपनिषत्सु ब्रम्ह विद्यायां योग शास्त्रे श्री कृष्ण अर्जुन संवादे------- अध्यायः कहते हैं।

प्रश्न १७७ ----- श्री मद भगवद् गीता को गीता क्यों कहा गया है ?

उत्तर --------- क्योंकि भगवान कृष्ण ने इसे आनंद में आकर गया है इसलिए गीता कहा गया। इसके अतिरिक्ति संस्कृत व्याकरण के अनुसार गीत होना चाहिए , उपनिषद् स्वरूप होने से स्त्री लिंग गीता कहा गया।

प्रश्न १७८ -- गीता उपनिषद् क्यों कहा गया ?

उत्तर --------- गीता में समस्त उपनिषदों का सार तत्व संग्रहीत है , और यह भागवत वाणी है इसलिए इसे उपनिषद् कहा गया।

प्रश्न १७९ --- श्री मद भगवद् गीता को श्री कृष्ण अर्जुन संबाद क्यों कहा गया ?

उत्तर --------- क्योंकि गीता में अर्जुन निःसंकोच भाव से प्रश्न किये और भगवान ने उदारता पूर्वक उत्तर दिया,इस कारण इन दोनों नाम की विशेष महिमा है अतः इसे श्री कृष्ण अर्जुन संबाद कहा गया।

प्रश्न १८० --- प्रथम अध्याय में कितने श्लोक हैं ?

उत्तर ---------४७ (47 )

प्रश्न १८१ - सबसे अधिक श्लोक किस अध्याय में हैं ?

उत्तर ---------- १८ (अट्ठारह ) ७८ (78 )

प्रश्न १८२ --- विद्वान या पंडित लोग किस बात का शोक नहीं मानते ? ( /११ )

उत्तर ---------- जिनके प्राण चले गए हों , या नहीं गए हों , किसी लिए भी विद्वन या पंडित शोक नहीं मानते।

प्रश्न १८३ ---- श्री मद भगवद् गीता के अनुसार अविनाशी किसे मानना चाहिए ?

उत्तर --------- जिनसे सम्पूर्ण संसार व्याप्त है , जिसका कोई विनाश नहीं कर सकता , उसे अविनाशी मानना चाहिए।

प्रश्न १८४ --श्री मद भगवद् गीता किस महाग्रंथ के अंतर्गत वर्णित है ?

उत्तर ------ महाभारत।

प्रश्न १८५ --- श्री मद भगवत् गीता किस पर्व के अंतर्गत कही गयी है ?

उत्तर ------- भीष्म पर्व।

प्रश्न १८६ --- श्री मद भगवद् गीता भीष्म पर्व के अंतर्गत किस अध्याय से आरम्भ होकर किस अध्याय मे समाप्त होती है ? उत्तर ------- भीष्म पर्व 13 अध्याय से प्रारम्भ होकर 42 अध्याय में पूर्ण होती है।

प्रश्न १८७ --- अत्र शूरा महेश्वासा शब्द का अर्थ क्या है ? ( / )

उत्तर --------- जिनसे वान चलाये या फेके जाते हैं , उसे ईश्वास अर्थात धनुष कहते हैं। अतः बड़ा और विशेष धनुष को धारण करने वाले को महेश्वासा कहते हैं।

प्रश्न १८८ -- सेनयोर्मध्ये गीता में कितनी बार आया है ?

उत्तर -------- तीन बार -- -- सेनाओं की विशालता ( विस्तार ) देखने के लिए , -- उपस्थित कुटुम्बियों के परिवार भाव से , -- विषाद मग्न अर्जुन को गीता उपदेश के भाव से।

प्रश्न १८९ -- श्री कृष्ण को अर्जुन के द्वारा माधव क्यों कहा गया ?

उत्तर ---------- माधव का अर्थ माँ लक्ष्मी , धव का अर्थ पति लक्ष्मी पति यानि श्री कृष्ण विष्णु का पूर्ण अवतार होने के कारन माधव कहा गया।

प्रश्न १९० --- अमरत्वं किसे मिलता है ? /१५

उत्तर ----------- दुःख - सुख में सम रहने वालों को।

प्रश्न १९१ --- अविनाशी कौन है ? /१७

उत्तर --------- जो मरता, नष्ट होता , सम्पूर्ण जगत में हरदम व्याप्त रहता है।

प्रश्न १९२ --- गीता के अनुसार अर्जुन ( मनुष्य ) का अधिकार क्या है ? /४७

उत्तर ------- कर्तव्य का पालन।

प्रश्न १९३ ---स्थित प्रज्ञ व्यक्ति के लक्षण क्या हैं ? / ५५ , /५६

उत्तर ------ कामनाओं को त्याग देता है , स्वतः संतुष्ट रहने वाला , सुख - दुःख राग , क्रोध रहित व्यक्ति स्थित प्रज्ञ होता है।

प्रश्न  १९४ -- शांति किसे प्राप्त हो सकती है ? /७१ उत्तर ------ ममता , अहंता , स्पृहा , कामनाओं के त्यागी को शांति मिल सकती है।

प्रश्न १९५ --- परमार्थ मार्ग में विध्न डालने बाले शत्रु कौन होते हैं ? /३४ उत्तर ---- सभी विषयों में रत इन्द्रयाँ , और राग -द्वेष। प्रश्न १९६ -- श्री मद भगवद् गीता में कौन सा धर्म सर्वश्रेष्ठ बताया गया है ? /३५ उत्तर ------- अपना।

प्रश्न १९७ --- पाप कर्म करने वाला किससे प्रेरित होकर पाप करता है ? / ३६ , / ३७

उत्तर ------- कामनाओं से। ( क्रोध और रजोगुण बढ़ने के कारण )

प्रश्न १९८ --- काल कितने होते हैं ? /२६ उत्तर ------ तीन - वर्त्तमान काल -- भूत काल --- भविष्य काल। प्रश्न

१९९ -- भक्ति के मार्ग कितने हैं ?

उत्तर ------ दो -- -- निर्गुण -- सगुण।

प्रश्न २०० -- वैदिक नियम को ग्रहण करने वाले कार्य का प्रारम्भ किस शब्द के उच्चारण से करते हैं ? १७/२४

उत्तर -------- ॐ।

प्रश्न २०१ -- कर्म - अकरम के पांच हेतु ( कारण ) कौन -कौन से हैं ?

उत्तर ------- - अधिष्ठान (शरीर ) , --- करता , -- कारण - (पांच कर्मेन्द्रियाँ , पांच ज्ञानेंद्रियाँ , और मन बुद्धि , अहंकार , 13 कारण ) - कारणों की अलग - अलग चेष्टाएँ -- स्वाभाव

गीताज्ञान  प्रसंग थोड़ा लम्बा है लेकिन सनातन संस्कृति के लिए जरूरी है महाभारत का एक सार्थक प्रसंग जो अंतर्मन को छूता है .... !!

 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के~छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी .... गिद्ध, कुत्ते, सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच निर्जन हो चुकी उस भूमि में *द्वापर का सबसे महान योद्धा*

*"देवव्रत" (भीष्म पितामह)

* शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था... अकेला .... ! तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची , "प्रणाम पितामह" .... !!

भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी, बोले, *'आओ देवकीनंदन, स्वागत है तुम्हारा ... मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था'

* कृष्ण बोले, *'क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप...'

* भीष्म चुप रहे, कुछ क्षण बाद बोले, 'पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव?उनका ध्यान रखना, परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है'* कृष्ण चुप रहे .... ! भीष्म ने पुनः कहा, 'कुछ पूछूँ केशव, बड़े अच्छे समय से आये हो, सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय ?'

 कृष्ण बोले - 'कहिये पितामह'

'एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो ?'

 कृष्ण ने बीच में ही टोका, 'नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं, मैं तो आपका पौत्र हूँ ...ईश्वर नही'

 भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले 'अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण, सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा, पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया, अब तो ठगना छोड़ दे रे'

 कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले .... 'कहिये पितामह'

 भीष्म बोले 'एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या?'

'किसकी ओर से पितामह, पांडवों की ओर से...?'

'कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था ?-आचार्य द्रोण का वध, *-दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार, -दुःशासन की छाती का चीरा जाना,-जयद्रथ, द्रोणाचार्य के साथ हुआ छल, -निहत्थे कर्ण का वध,  क्या सब ठीक था, यह सब उचित था क्या ?'

'इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह ?'

'इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया'

'उत्तर दें दुर्योधन,' 'दुःशाशन का वध करने वाले भीम ,' 'उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन...' 'मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं , पितामह'

'अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण ? अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया, कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है, मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण'

'तो सुनिए पितामह...कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ, वही हुआ जो हो होना चाहिए..!'

'यह तुम कह रहे हो केशव ? मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ? यह छल तो किसी युग में भी हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ?'

'इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह, पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है..! हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है | राम त्रेता युग के नायक थे, तो मेरे भाग में द्वापर आया...| हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता , पितामह...'

'नहीं समझ पाया कृष्ण, तनिक समझाओ तो |'

'राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह, राम के युग में खलनायक भी 'रावण' जैसा शिवभक्त होता था... तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण, मंदोदरी, माल्यावान जैसे सन्त हुआ करते थे, तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे... उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखते थे, , इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया... किंतु मेरे युग के भाग में... कंस, जरासन्ध दुर्योधन दुःशासन शकुनी जयद्रथ जैसे घोर पापी आये, उनकी समाप्ति के लिए हर छल ही उचित है पितामह ? पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो, छल ही क्यों नहीं...'

'तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव? क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा ?'  और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ?'

'भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक रहा है पितामह .... ! कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा .... ! वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा, नहीं तो धर्म ही समाप्त हो जाएगा .... !!! जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह ; तब महत्वपूर्ण होती है धर्म की विजय , केवल धर्म की विजय... | भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह !'

'क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?'

'सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !'

'ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता, केवल मार्ग दर्शन करता है, बस...'

 'सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है, आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं , तो बताइए पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ? सब पांडवों को ही करना पड़ा ? यही प्रकृति का संविधान है...!!!' युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से, यही तो परम सत्य है...'

'भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे ....'

उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... ! उन्होंने कहा - 'चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो, अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण...'

कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले, पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था .... ! जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है ....।।

`           इस क्रम में बाबा विनोबा के उस विषय को प्रतिपादित कारना चाहिए जिसके अंतर्गत उन्होंने सख्य युग आने की बात कहा करते थे | उन्हें यह भी लगता था कि अब गुरु को अपने शिष्य से मित्रवत घुल मिलकर ही कार्य करना होगा और समाधान सूत्र निकालते हुए सामूहिक साधना के म्मर्ग पर चलना होगा | संत विनोबा के मैत्री के संदेश को एक युग पुरुष के द्वारा दिया जानेवाला शंखनाद भी मान सकेंगे | उनके मार्ग पर चलते हुए ही राष्ट्र और समुदाय को प्रगति के मार्ग पर चलाया जा सकेगा और आपसी द्वेष को पूरी त्राह समाप्त किया जा सकेगा |

अपराध और अपराधी

  चन्दन सुकुमार सेनगुप्ता अपने    दैनिक    जीवन    में कुछ हादसे ऐसे भी होते हैं जो पूरी व्यवस्था और न्याय तंत्र पर ही एक...