प्रगति

 


ठाकुर नरेन को जनता जनार्दन के लिए व्रती होकर काम करने की प्रेरणा दे रहे थे और नरेन को व्यक्तिगत प्रगति की धुन लगी थी | निर्विकल्प समाधि का मंत्र तो है ही उत्तम कोटि का; पर ठाकुर रामकृष्ण को लग रहा था कि सभी भक्त वत्सल अगर समाधि  लेने  लग जाएँ तो फिर समाज का क्या होगा ! अतः कुछ भक्तों को वैयक्तिक प्रगती की लालसा से ऊपर उठकर शिव सेवा ज्ञान से जीव सेवा में लगना है | तभी समाज को प्रगती की राह पर लाया जा सकेगा | आचार्य विनोबा का मंत्र ही सर्वोदय का था ; प्रार्थना भी सामूहिक ही हो; उसमें भी सबके भावनाओं को भली भाँति पिरोए जाएँ |


अपराध और अपराधी

  चन्दन सुकुमार सेनगुप्ता अपने    दैनिक    जीवन    में कुछ हादसे ऐसे भी होते हैं जो पूरी व्यवस्था और न्याय तंत्र पर ही एक...